स्मार्ट बनना चाहते हैं तो अपनाएं ये टिप्स


: परिचय

यह सब हमारी चाहत है। हर वक्त दूसरों से बेहतर होना चाहते हैं, बेहतर दिखना चाहते हैं। स्मार्टनेस आत्मविश्वास बढ़ाने का आधार मानी जाती है। यह सच है कि जो दिखने में स्मार्ट होता है या स्मार्ट बना रहता है वह बड़े से बड़ा और विख्यात लोगों के साथ भी बेझिझक बात करता है। यदि आप भी चाहती हैं कि आपमें ऐसा अद्वितीय आत्मविश्वास हो तो जरूरी है कि अपने व्यक्तित्व में सुधार करें। यहां सवाल उठता है कैसे? व्यक्तित्व में सुधार का अर्थ है कि खुद को पूरी तरह बदल डालें। न सिर्फ बातों में स्मार्ट बनें बल्कि आपकी शारीरिक खूबसूरती भी दूसरों को चौंका देने वाली होनी चाहिए।


स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि स्मार्ट दिखने के लिए नियमित एक्सरसाइज करते रहना चाहिए। हालांकि एक्सरसाइज बहुत जरूरी है। लेकिन यह न भूलें कि सिर्फ एक्सरसाइज आपके शरीर को आकर्षक नहीं बनाता है। आपके चेहरे को आकर्षक बनाने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने अनिवार्य हैं।


: स्मार्ट बनना चाहते हैं तो सभी काम सीखे

स्मार्ट होने का मतलब यह नहीं है कि आप सूट बूट में अच्छे दिखें; परंतु आपको आता कुछ ना हो। उस व्यक्ति को स्मार्ट समझा जाता है जिसे सारे काम आते हैं। यदि आप किसी कंपनी/ऑफिस में काम कर रहे है तो आपको हर तरह के काम सीखने चाहिए। जैसे ह्यूमन रिसोर्स, फाइनेंस, मार्केटिंग, सेल्स। जब आप सभी कामों में हुनरमंद हो जाएंगे तब आपको आपके मित्र भी स्मार्ट कहेंगे। ऑफिस में आपकी सब लोग इज्जत करेंगे।


बहुत से लोग कामचोर होते हैं। वो बस अपना काम करना चाहते हैं। दूसरा कोई काम नहीं सीखना चाहते हैं। यह भी आपके बॉस किसी दूसरे काम में आपकी मदद चाहिए और आप मना कर देंगे तो आपकी कोई कद्र नहीं करेगा। कद्र उसी की होती है जिसे सभी काम आते हैं। इसलिए आपको अपने अंदर बहुमुखी योग्यताओं का विकास करना चाहिए।

: बहिर्मुखी स्वभाव अपनाने का प्रयास करें

बहुत से लोग अंतर्मुखी स्वभाव के होते हैं। वह दूसरे लोगों से बहुत कम बातचीत करते हैं। ऐसे में उनकी छवि दब्बू वाली बन जाती है। आपको अपने सहपाठियों से अधिक से अधिक घुलना मिलना चाहिए। जब आप ऐसा करेंगे तो आप की छवि सुधरेगी।

: मन साफ करके जायें

अपने भीतर चल रहे विचारों के द्वंद्व को परखिये। अपनी भावनाओं को जानने का प्रयास करें। बात करने से पहले अपनी मनोदशा का भी खयाल रखें। अपने आप से सवाल पूछें कि क्या आप वाकई ध्यान से सुनने को तैयार हैं। आप बातचीत को किस दिशा में जाता हुआ देखते हैं। हो सकता है कि आपको लगे कि आप परेशान हैं या फिर बातचीत के दौरान हो सकते हैं, तो फिर बेहतर रहेगा कि आप उस समय चर्चा न ही करें। यदि फिर भी बात करनी जरूरी हो, तो आपको चाहिये कि ओपन माइंड से ही बात करें। हो सकता है कि उस व्यक्ति से बात करते हुए आप पहले परेशान हो चुके हों, लेकिन इस बार हालात अलग हो सकते हैं। अपने पूर्वाग्रहों को एक और रख दें और नयी व अलग जानकारी के लिए लोगों को ध्यान से सुनें।

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