एकाग्रता पर स्वामी विवेकानन्द





 बाहरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करना आसान है, मन स्वाभाविक रूप से बाहर चला जाता है; लेकिन ऐसा नहीं होता, धर्म, या मनोविज्ञान, या तत्वमीमांसा के मामले में, जहां विषय और वस्तु एक ही है. वस्तु आंतरिक है, मन खुद ही वस्तु है, और उसकी मन का अध्ययन करने के लिए ही आवश्यकता है – मन ही मन का अध्यन कर रहा है. हम जानते हैं कि मन की एक शक्ति है जिसे प्रतिबिम्बंन कहते है. मैं तुमसे बात कर रहा हूँ. और उसी समय मैं बगल में खड़ा हूँ, जैसे वो कोई दूसरा व्यक्ति हो, और मुझे जान और सुन रहा है, की मैं क्या बात कर रहा हूँ. आप एक ही समय में काम करते है और साथ-साथ सोचते है, जबकि आपके दिमाग का एक हिस्सा बगल में खड़ा ये देखता है की आप क्या सोच रहे है. मन की शक्तियों को एकाग्र किया जाना चाहिए और उसे उसके ही उपर लगाया जाना चाहिए, और जैसे अंधकारमय जगह, सूरज की भेदती किरणों के सामने अपने रहस्य खोल देती है, वैसे ही ये एकाग्र मन अपने अंतरतम रहस्यों को भेद देता है. इस प्रकार हम विश्वास और वास्तविक धर्म के आधार पर आ जायेंगे. हम खुद के लिए समझ जायेंगे कि क्या हम आत्मा है, जीवन पांच मिनट का है या अनंत काल का है, क्या ब्रम्हांड में एक भगवान् है या और भी. ये सभी रहस्य हमारे सामने खुल जायेंगे. यही है जो राज-योग सिखाने का प्रस्ताव रखता है. इसकी सभी शिक्षा का लक्ष्य मन को कैसे एकाग्र करे है, फिर, हमारे खुद के दिमाग के अंतरतम गुप्त स्थानों को कैसे खोजे, फिर, कैसे उस सामग्री का सामान्यीकरण करे और उससे हमारे अपने निष्कर्ष प्राप्त करे. वो, इसलिए, कभी ये प्रश्न नहीं पूछता की आपका धर्म क्या है, आप आस्तिक है की नास्तिक, ईसाई, यहूदी, या बौद्ध है. हम मनुष्य है; यही पर्याप्त है. सभी मनुष्यों के पास धर्म की खोज का अधिकार और सामर्थ्य है. सभी मनुष्य के पास कारण पूछने, की क्यों, और उसके प्रश्न का उत्तर खुद दिए जाने का अधिकार है, अगर वह केवल कष्ट करता है. स्वा��




                       पढ़ाई में एकाग्रता कैसे बढ़ाए 



                                                                                                            

बच्चों के लिए कुछ सलाह जिससे वे अच्छे अंक प्राप्तकर अपने माता पिता व अध्यापकों को गौरान्वित करें। ध्यान पढ़ाई में एकाग्रता व स्मृति शक्ति बढ़ाने का रहस्य है।  इतिहास की कक्षा लगी है। आपकी किताब सामने खुली है। बिना कुछ पढ़े आप उसे देख रहे हैं ऐसा लगता है कि अध्यापक आपके दिमाग़ में विदेशी भाषा में कुछ ठूंस रहें हैं। आप शरीर से वहाँ हैं पर मन कहीं और है।

 

  स्कूल में रोज़ का एक साधारण दृश्य, किसी रोचक कॉमिक या रोमांचक / रहस्यमयी उपन्यास में कैसे मन रम जाता है वहीं पढ़ाई की किताबों में विशेषकर जो विषय आपकी रूचि के नही हैं, स्थिति एकदम उल्टी होती है। हम कैसे अपनी पसंद के टीवी कार्यक्रम में घंटों आँखें गड़ाए रहते हैं और किसी शोध पत्र या तकनीकी रिपोर्ट का एक पैराग्राफ (अनुच्छेद) भी नही पढ़ा जाता है।

 

  बच्चों में एकाग्रता का अभाव माता पिता व अध्यापकों के द्वारा की जाने वाली सामान्य शिकायत है और हमारी हर समय की दुश्मन। सबसे मुश्किल यह है की यह हमारा साथ तब छोड़ती है जब हमें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। जैसे किसी परीक्षा के एक दिन पहले रात को पढ़ते समय। एक साधारण तकनीक जिसे ध्यान कहते हैं, इस समस्या का एक पूर्ण निदान है। बहुत से शोधों में पाया गया है कि ध्यान के नियमित अभ्यास से एकाग्रता में वृद्धि होती है और उसे नीरस कार्य करते समय भी ज़्यादा देर तक बनाए रखा जा सकता है। पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी की शोध के अनुसार कुछ मिनट का प्रतिदिन ध्यान का अभ्यास लोगों की ध्यानकेंद्रित करने की क्षमता (focus) व कार्यक्षमता में वृद्धि करता है।

 

  ऐसे बहुत से उदाहरण हैं कि किस तरह ध्यान सबसे मुश्किल क्षणों में आपका रक्षक बन सकता है, जब आपको अतीव सजग होने की आवश्यकता हो।

 

  यहाँ हम कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं:

 

एकाग्रता बढ़ाने के ८ नुस्खें :

 

 अपने विषय से प्रेम करें और यह आपको अच्छे अंक �

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